उत्तराखंड

रुद्रप्रयाग में भूस्खलन के चलते सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग पर वाहनों की आवाजाही बंद, केदरानाथ का पैदल मार्ग खराब

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में भूस्खलन से सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग बंद हो गया है। बदरीनाथ में अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ने से यात्रियों को तट से दूर रहने की चेतावनी दी गई है। गौरीकुंड से केदारनाथ का पैदल मार्ग भी चुनौतीपूर्ण है। प्रशासन ने यात्रियों से मौसम देखकर यात्रा करने की अपील की है। पुलिस यात्रियों की सुरक्षा के लिए सतर्क है।

देहरादून: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में रविवार सुबह भूस्खलन के कारण सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग पर वाहनों की आवाजाही बंद हो गई, जबकि बदरीनाथ मंदिर की तलहटी में अलकनंदा नदी में जलप्रवाह अचानक बढ़ने के बाद प्रशासन ने श्रद्धालुओं को तट से दूर रहने को कहा है। अधिकारियों ने बताया कि शनिवार देर रात हुई बारिश के बाद रविवार सुबह मुनकटिया के पास भूस्खलन होने से मलबा से सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग पर आ गया, जिससे मोटर मार्ग वाहनों की आवाजाही के लिए बंद हो गया।

उन्होंने बताया कि सुरक्षा के मद्देनजर श्रद्धालुओं को सोनप्रयाग और गौरीकुंड में ही रोकने, संबंधित एजेंसियों के स्तर पर मार्ग खोले जाने की कार्रवाई शुरू की गई। अधिकारियों ने बताया कि भूस्खलन वाली जगह पर जेसीबी मलबे को साफ करने में जुटी है। पुलिस ने बताया कि अभी मार्ग को पैदल चलने लायक बनाया गया है, जिससे यात्रियों का पैदल आवागमन शुरू हो गया है। हालांकि, केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए पैदल श्रद्धालुओं को छह किलोमीटर अतिरिक्त चलना पड़ रहा है।

गौरीकुंड से केदारनाथ पैदल मार्ग मुश्किल

लगातार बारिश के कारण गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक का पैदल मार्ग भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है ऐसे में प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि मौसम के पूर्वानुमान के हिसाब से अपनी यात्रा करें तथा इस संबंध में पुलिस प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें। चमोली जिले में बदरीनाथ मंदिर की तलहटी पर अलकनंदा का जलप्रवाह अचानक बढ़ जाने से पुलिस-प्रशासन की ओर से तीर्थयात्रियों को ब्रह्म कपाल और नारद कुंड इलाके में सतर्क रहने और नदी के तट से दूर रहने के निर्देश दिए जा रहे हैं।

अलकनंदा नदी का स्तर बढ़ा

पिछले तीन सालों से महायोजना के तहत ‘रिवरफ्रंट’ का निर्माण किया जा रहा है और इसका मलबा नदी के पास डाले जाने के कारण बदरीनाथ के समीप अलकनंदा में पानी ऊपर तक आ जाता है। पिछले साल भी तप्त कुंड और ब्रह्म कपाल इलाके में अलकनंदा का प्रवाह बाढ़ की स्थिति में आ गया था।

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